Arijit Singh - Zaalima 歌词

Jo teri khatir tadpe pehle se hi
Kya usey tadpana o zaalima, o zaalima
Jo tere ishq mein behka pehle se hi
Kya usey behkana o zaalima, o zaalima (x2)

Aankhen marhaba, baatein marhaba
Main sau martaba deewana huaa
Mera na raha jab se dil mera
Tere husn ka nishana hua

Jiski har dhadkan tu ho
Aise dil ko kya dhadkana
O zaalima, o zalima..

Jo teri khatir tadpe pehle se hi
Kya usey tadpana o zaalima, o zaalima

Saanson mein teri nazdeeqiyon ka
Itrr tu ghol de, ghol de...
Main hi kyun ishq zaahir karun
Tu bhi kabhi bol de, bol de... (x2)

Leke jaan hi jaayega meri
Qaatil har tera bahaana hua

Tujhse hi shuru
Tujhpe hi khatam
Mere pyaar ka fasaana hua

Tu shamma hai toh yaad rakhna
Main bhi hoon parwaana
O zaalima, o zaalima..

Jo teri khatir tadpe pehle se hi
Kya usey tadpana o zaalima, o zaalima

Deedaar tera milne ke baad hi
Chhoote meri angdaayi
Tu hi bata de kyun zaalima main kehlayi

Kyun iss tarah se duniya jahan mein
Karta hai meri ruswayi
Tera qusoor aur zaalima main kehlayi

Deedaar tera milne ke baad hi
Chhoote meri angdaayi
Tu hi bata de kyun zaalima main kehlayi
Tu hi bata de kyun zaalima main kehlayi

जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही
क्या उसे तडपाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा

जो तेरे इश्क में बहका पहले से ही
क्या उसे बहकाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा]

जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही
क्या उसे तडपाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा

जो तेरे इश्क में बहका पहले से ही
क्या उसे बहकाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा]

आँखें मरहबा बातें मरहबा
मैं सौ मर्तबा दीवाना हुआ
मेरा ना रहा जब से दिल मेरा
तेरे हुस्न का निशाना हुआ

जिसकी हर धड़कन तू हो
ऐसे दिल को क्या धडकना
ओ ज़ालिमा... ओ ज़ालिमा.

जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही
क्या उसे तडपाना
ओ ज़ालिमा... ओ ज़ालिमा

साँसों में तेरी नजदीकियों का
इत्र्र तू घोल दे... घोल दे.
मैं ही क्यूँ इश्क ज़ाहिर करूँ
तू भी कभी बोल दे... बोल दे.

साँसों में तेरी नजदीकियों का
इत्र्र तू घोल दे घोल दे.
मैं ही क्यूँ इश्क ज़ाहिर करूँ
तू भी कभी बोल दे... बोल दे.

लेके जान ही जाएगा मेरी
क़ातिल हर तेरा बहाना हुआ

तुझसे ही शुरु
तुझपे ही ख़तम
मेरे प्यार का फ़साना हुआ

तू शम्मा है तो याद रखना
मैं भी हूँ परवाना
ओ ज़ालिमा... ओ ज़ालिमा.

जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही
क्या उसे तडपाना
ओ ज़ालिमा... ओ ज़ालिमा

दीदार तेरा मिलने के बाद ही
छूटे मेरी अंगड़ाई
तू ही बता दे क्यूँ जालिम मैं कहलाई

क्यूँ इस तरह से दुनिया जहाँ में
करता है मेरी रुसवाई
तेरा कुसूर और जालिम मैं कहलाई

दीदार तेरा मिलने के बाद ही
छूटे मेरी अंगड़ाई
तू ही बता दे क्यूँ जालिम मैं कहलाई

तू ही बता दे क्यूँ जालिम मैं कहलाई
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