फिर छिड़ी रात बात फूलों की
रात है या बरात फूलों की
फुल के हार, फुल के गजरे
शाम फूलों की, रात फूलों की
आप का साथ, साथ फूलों का
आप की बात, बात फूलों की
फुल खिलते रहेंगे दुनिया में
रोज निकलेगी बात फूलों की
नज़रे मिलती हैं, जाम मिलते हैं
मिल रही है हयात फूलों की
ये महकती हुयी गज़ल मखदूम
जैसे सेहरा में रात फूलों की
Этот текст прочитали 166 раз.