Lata Mangeshkar - Chand Phir Nikla Magar Tum Na Aaye Тексты

चांद फिर निकला, मगर तुम न आये जला फिर मेरा दिल, करुँ क्या मैं हाय चांद फिर निकला ...
(ये रात कहती है वो दिन गये तेरे ये जानता है दिल के तुम नहीं मेरे) - २
खड़ी मैं हूँ फिर भी निगाहें बिछाये मैं क्या करूँ हाय के तुम याद आये चांद फिर निकला ...

(सुलगते सीने से धुंआ सा उठता है लो अब चले आओ के दम घुटता हैं) - २
जला गये तन को बहारों के साये मैं क्या करुँ हाय के तुम याद आये
चांद फिर निकला ...
Этот текст прочитали 168 раз.